यह सहज संभव नहीं था कि पुलवामा हमले तथा भारतीय वायुसेना की कार्रवाई के बाद दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी का जो चरम था, उसमें बातचीत की गुंजाइश निकलती। लेकिन करतारपुर कॉरिडोर के मुद्दे ने यह बातचीत का अवसर दिया कि दोनों देशों के अधिकारियों के बीच वाघा-अटारी बॉर्डर पर बातचीत हो सकी। निसंदेह गुरु नानक देव की कर्मस्थली और उनके जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों से जुड़े करतारपुर साहेब गुरुद्वारे के प्रति सिखों के गहरे एहसासों के चलते भारत सरकार भी बातचीत को तैयार हुई। दशकों से आम सिखों की पहुंच से दूर इस महत्वपूर्ण तीर्थस्थल के लिये गलियारा खोलने की बात तब शुरू हुई जब इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के समारोह में शिरकत करने कांग्रेसी नेता व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्ध पाकिस्तान गये। फिर हालात ?इतनी तेजी से बदले कि ?आज पाकिस्तान सीमा पर गलियारे और गुरुद्वारे से जुड़ा निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है और पाक की तरफ से चालीस फीसदी काम पूरा होने का दावा किया जा रहा है, जिसे अगस्त 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि अभी भारत द्वारा प्रतिदिन पांच हजार सिख श्रद्धालुओं को दर्शन के लिये मौका देने की मांग पर पाक सहमत नहीं हुआ है।?साथ ही वीजा का प्रश्न भी मुंह बाये खड़ा है। भारत की तरफ से उम्मीद की जा रही है कि करतारपुर गलियारे के जरिये अधिक से अधिक श्रद्धालुओं को अवसर देने में पाक उदारता दिखायेगा। पाक द्वारा केवल सिख श्रद्धालुओं को ही दर्शन की अनुमति दिये जाने को लेकर भी प्रश्न है। भारत में बड़ी संख्या में हिंदू भी आस्था के चलते नियमित रूप से गुरुद्वारे जाते हैं। ऐसे में किसी तरह की लक्ष्मण रेखा खींचना पाक की पहल को संकुचित बनायेगा। निसंदेह अभी दोनों देशों की सीमाओं और सुरक्षा से जुड़ी कई तरह की जटिलताएं सामने आएंगी। पाकिस्तान के अतीत की कारगुजारियों को देखते हए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को भी सतर्क रहना होगा। निसंदेह भौगोलिक सीमाओं में बंधे दोनों देशों में इस तरह गलियारे का खुलना एक सुखद पहल ही है, बशर्ते पाकिस्तान पाक-साफ नजरिये से आगे बढे। गुरु नानक देव जी को पांच सौ पचासवीं जयंती ने दोनों देशों को करीब |लाने का जो मौका उपलब्ध कराया है, पाकिस्तान को |उसे दोनों देशों के बीच बेहतर रिश्तों को बहाल करनेके अवसर के रूप में स्वीकारना चाहिए। यह पूरी |दुनिया के सिखों के लिये एक सुखद अ?वसर है कि अब उन्हें पाकिस्तान के भीतर से जाने के बजाय भारतीय सीमा से पैदल चलकर भी करतारपुर साहेब गुरुद्वारे के दर्शन का सौभाग्य मिल सकेगा।
बातचीत का गलियारा