इन दिनों आम चुनाव 2019 के लिए विभिन्न राजनैतिक दल अपने-अपने घोषणापत्र तैयार करने में जुट गए हैं। इन घोषणापत्रों में विभिन्न वर्गों को लुभाने के लिए चमकीली घोषणाएं शामिल की जाएंगी। ऐसे में विभिन्न राजनैतिक दलों के चुनावी घोषणापत्रों में मध्यम वर्ग के हितों के लिए भी उपयुक्त घोषणाएं अपेक्षित की जा रही हैं। निश्चित रूप से छलांगें लगाकर बढ़ते हुए भारत के उपभोक्ता बाजार और भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में जिस मध्यम वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका है, वह मध्यम वर्ग विभिन्न प्रकार की सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का सामना करते हुए भी दिखाई दे रहा है। ऐसे में मध्यम वर्ग की आर्थिक-सामाजिक चुनौतियों के उपयुक्त निराकरण की संभावनाओं वाली घोषणाओं की मध्यम वर्ग के करोड़ों लोगों द्वारा अपेक्षा की जा रही है। ___चूंकि देश का मध्यम वर्ग देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में सबसे प्रभावी भूमिका निभा रहा है, अतएव मध्यम वर्ग को सरकार के किसी भी नए आर्थिकसामाजिक सहयोग से उत्साहवर्धन होगा। हाल ही में प्रकाशित विश्व प्रसिद्ध कंसल्टेंसी फर्म बीसीजी की रिपोर्ट 2019 में कहा गया है कि भारत के उपभोक्ता बाजार को दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाले बाजार की पहचान दिलाने में मध्यम वर्ग की प्रभावी भूमिका है। प्रमुखतया देश के मध्यम वर्ग के कारण ही वर्ष 2008 में भारत का जो उपभोक्ता बाजार महज 31 लाख करोड़ रुपए था, वह 2018 में 110 लाख करोड़ रुपए का हो गया। अब भारत का उपभोक्ता बाजार 2028 तक तीन गुना बढ़कर 335 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा। देश में मध्यम वर्ग की बढ़ती हुई क्रयशक्ति अर्थव्यवस्था को नई गति दे रही है। हाल ही में ख्यातिप्राप्त ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म पीडब्ल्यूसी ने कहा है कि इस वर्ष 2019 में भारत ब्रिटेन को पीछे छोडते हए क्रय शक्ति के आधार पर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। निसंदेह इस समय जब भारत की विकास दर दुनिया में सर्वाधिक 7 फीसदी से अधिक के स्तर पर है तो उसमें मध्यम वर्ग की अहम भूमिका है ।निसंदेह देश की ऊंची विकास दर के साथ-साथ शहरीकरण की ऊंची वृद्धि दर के बलबूते भारत में मध्यम वर्ग के लोगों की आर्थिक ताकत तेजी से बढ़ी है। इसी ताकत के बल पर भारत ने 2008 के ग्लोबल वित्तीय संकट से सबसे पहले निजात पाई है। वर्ष 1991 से शरू हए आर्थिक सुधारों के बाद देश में मध्यम वर्ग के लोगों की संख्या और खरीदी की क्षमता चमकीली ऊंचाई पर पहुंच गई है और चारों ओर भारतीय मध्यम वर्ग का स्वागत हो रहा है। देश में मध्यम वर्ग के लोगों की संख्या 30 करोड़ से अधिक है। नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च की नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में देश में उच्च मध्यम वर्ग के 17 करोड़ लोग पूरे देश में 46 फीसदी क्रेडिट कार्ड, 49 फीसदी कार, 52 फीसदी एसी तथा 53 फीसदी कम्प्यूटर के मालिक हैं । इस विशालकाय मध्यम वर्ग की आंखों में उपभोग और खुशहाली के जो सपने होंगे, उनको पूरा करने के लिए देश-विदेश की बड़ी-बड़ी कंपनियां अपनी नई रणनीतियां बना रही हैं जिस तरह दुनिया के अधिकांश देशों में मध्यम वर्ग के लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं, वैसी ही स्थिति भारत में भी दिखाई दे रही है। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने कहा है कि दुनिया के अधिकांश देशों में मध्यम वर्ग की प्रगति रुक गई है। उनकी स्थिति अस्थिर है। मध्यम आय के जॉब्स कम होने और काम के लिए जरूरी कौशल न होने से आय में असमानता बढ़ी है। कहा गया है कि वर्ष 2000 के बाद यूरोपियन यूनियन के दो-तिहाई देशों में मध्यम वर्ग में शामिल लोगों की संख्या कम होने लगी है। इसी तरह की गिरावट अमेरिका में भी आई है। खासतौर से 2008 के आर्थिक संकट के बाद विभिन्न देशों में मध्यम वर्ग की मुश्किलें तेजी से बढ़ी हैं। यूरोप सहित दुनिया के कई देशों में सरकारों के सामाजिक सुरक्षा प्रावधानों से लोगों को आर्थिक सहारा मिलता था लेकिन अब ये भी कम कर दिए गए हैं। खराब आर्थिक स्थितियों के कारण यूरोप सहित कई देशों में असंतोष उभार पर है। इस प्रकार भारत के लाखों दफ्तरों में सुबह नौ से रात तक पसीना बहाकर देश को नई पहचान और नई ताकत देने वाला भारतीय मध्यम वर्ग भी कदम-कदम पर सामाजिक-आर्थिक चनौतियों का सामना कर रहा है।चाहे मध्यम वर्ग के करोड़ों लोगों के चेहरे पर लगातार मस्कराहट दिखाई दे रही है, लेकिन इस मस्कराहट के पीछे महंगाई. सामाजिक सरक्षा. बच्चों की शिक्षा, रोजगार, कर्ज पर बढता ब्याज जैसी कई सामाजिक और आर्थिक चनौतियां भी छिपी हई हैं। चंकि शिक्षा के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की महंगी शिक्षा को बढावा मिला है, परिणामस्वरूप मध्यम वर्ग की स्तरीय शैक्षणिक सविधाओं संबंधी कठिनाइयां बढ़ती जा रही हैं। मध्यम वर्ग के करदाता दिन-प्रतिदिन के जीवन में कर संबंधी आर्थिक मश्किलें भी अनभव कर रहे हैं। अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा और जीवन स्तर के लिए मध्यम वर्ग द्वारा लिए जाने वाले सबसे जरूरी हाउसिंग लोन. ऑटो लोन, कन्ज्यमर लोन आदि पर ब्याज दर बढ़ने के परिदश्य ने मध्यम वर्ग की चिंताएं बढ़ा दी हैं। इन सबके अलावा जो मध्यम वर्ग शताब्दियों से देश के सांस्कतिक मल्यों का रक्षक माना जाता रहा है, वह अपने परिवारों में उपभोक्ता संस्कृति और पश्चिमी संस्कृति के खतरों को नहीं रोक पा रहा है और मध्यम वर्ग की एक बड़ी संख्या भारतीय मूल्यों से दूर जा रही है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि विभिन्न दलों द्वारा तैयार किए जा रहे घोषणापत्रों में मध्यम वर्ग को लाभान्वित करने वाली ऐसी घोषणाएं जरूरी हैं. जिनके कार्यान्वयन से मध्यम वर्ग की आर्थिकसामाजिक चनौतियां कम हो सकें। अभी मध्यम वर्ग को लाभान्वित करने वाले कई और प्रभावी प्रयासों की जरूरत बनी हई है। यह स्पष्ट समझा जाना होगा कि मध्यम वर्ग की मौजदा शैक्षणिक परेशानियों को कोई विदेशी निवेशक और विदेशी संस्थान सरलता से बदल नहीं सकता। अतएव केन्द्र सरकार द्वारा उच्च शिक्षा व्यवस्था में सधार के एजेंडे को तत्काल आगे बढ़ाया जाना चाहिए। बड़े शहरों सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को कारगर बनाया जाना चाहिए ताकि यातायात पर मध्यम वर्ग के बढते हए व्यय में कमी आ सके। गरीबी की रेखा के ऊपर (एपीएल) आने वाले निम्न मध्यम वर्ग के परिवारों को भी विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाले लाभ जरूर दिए जाने चाहिए। मध्यम वर्ग को लाभान्वित करने के लिए सरकार द्वारा एक प्रभावी प्रत्यक्ष कर प्रणाली के तहत प्रत्यक्ष कर व्यवस्था को सरल और पारदर्शी बनाया जाना होगा। उद्योग-कारोबार के लिए वस्त एवं सेवाकर (जीएसटी) को और सरल करना होगा।
मध्यम वर्ग का दर्द भी कीजिए महसूस